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कुण्डलिया वेणु बजाकर राधिका , कान्हा करें प्रसन्

कुण्डलिया
वेणु  बजाकर  राधिका , कान्हा करें प्रसन्न ।
कान्हा  भोले   हैं   बने ,   पीछे   बैठे  सन्न ।।
पीछे   बैठे   सन्न  ,  वेणु  राधा  की  सुनके ।
कहतें बैठो संग , गरुण से  अब वह हँसके ।।
झूमेंगी अब बेल , आज फिर धूम मचाकर  ।
राधे  रानी  आज  , सुनाती  वेणु  बजाकर ।।

१७/०३/२०२३      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया
वेणु  बजाकर  राधिका , कान्हा करें प्रसन्न ।
कान्हा  भोले   हैं   बने ,   पीछे   बैठे  सन्न ।।
पीछे   बैठे   सन्न  ,  वेणु  राधा  की  सुनके ।
कहतें बैठो संग , गरुण से  अब वह हँसके ।।
झूमेंगी अब बेल , आज फिर धूम मचाकर  ।
राधे  रानी  आज  , सुनाती  वेणु  बजाकर ।।
कुण्डलिया
वेणु  बजाकर  राधिका , कान्हा करें प्रसन्न ।
कान्हा  भोले   हैं   बने ,   पीछे   बैठे  सन्न ।।
पीछे   बैठे   सन्न  ,  वेणु  राधा  की  सुनके ।
कहतें बैठो संग , गरुण से  अब वह हँसके ।।
झूमेंगी अब बेल , आज फिर धूम मचाकर  ।
राधे  रानी  आज  , सुनाती  वेणु  बजाकर ।।

१७/०३/२०२३      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया
वेणु  बजाकर  राधिका , कान्हा करें प्रसन्न ।
कान्हा  भोले   हैं   बने ,   पीछे   बैठे  सन्न ।।
पीछे   बैठे   सन्न  ,  वेणु  राधा  की  सुनके ।
कहतें बैठो संग , गरुण से  अब वह हँसके ।।
झूमेंगी अब बेल , आज फिर धूम मचाकर  ।
राधे  रानी  आज  , सुनाती  वेणु  बजाकर ।।