इस गुलाबी ठंड में, वो तुम्हारी नर्म हथेलियों का स्पर्श , महकी महकी चाय की खूशबू मेरे अर्श पर मेरे रश्क पर , तेरी उंगलियों के रक़्स मेरे अक्स पर , तेरे इश्क़ की नक्श , मेरे खुश्क कैनवस पर , तेरे रंगों का अक्स मेरी नरम लबों पर तेरे नाम का मश्क़ सफ़ेद काग़ज़ पर तेरे नाम लफ़्ज़ों के कई कर्ज़ मेरे इश्क़ की दवा , तू ही मेरा मर्ज़ तू ही दवा तू ही मर्ज