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पल्लव की डायरी बहकती कलमे गठ जोड़ करती है दरकती सत्

पल्लव की डायरी
बहकती कलमे गठ जोड़ करती है
दरकती सत्य की दीवारें
झूठो की शान में कशीदे गढ़ती है
मोल के भाव मे कलमे बिकती है
न्याय की आवाजें दबाकर
अन्याय की जी हजूरी करती है
सत्ता की चेरी बनकर
मुल्क को गुमराह करती है
गरीबो की हमदर्द रही कलमे
सत्ता से संघर्ष करती है
कितनो के सर कलम
मगर हक़ीक़ते लिखती है
                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" सत्ता से संघर्ष करती है

#AWritersStory
पल्लव की डायरी
बहकती कलमे गठ जोड़ करती है
दरकती सत्य की दीवारें
झूठो की शान में कशीदे गढ़ती है
मोल के भाव मे कलमे बिकती है
न्याय की आवाजें दबाकर
अन्याय की जी हजूरी करती है
सत्ता की चेरी बनकर
मुल्क को गुमराह करती है
गरीबो की हमदर्द रही कलमे
सत्ता से संघर्ष करती है
कितनो के सर कलम
मगर हक़ीक़ते लिखती है
                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" सत्ता से संघर्ष करती है

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