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जब तुम कभी अपनी "कविताओं" में तराशोगे मुझे....

जब तुम कभी 
अपनी "कविताओं" में 
तराशोगे मुझे....

दर्पण को सटी उस "लाल बिंदी" पर 
मेरी "भौंहें" उकेरोगे....

जब नेत्र पटो को 
मूंद ढूंढोगे मुझे..उस "क्षण"....

उस क्षण में मैं...हां.."मैं"
अपना
आकार धरूंगी....

उस क्षण क्षण में आकार मेरा बढ़ता जाएगा....

हां उस "सूक्ष्म" बिंदु पर...जब 
मुझमें घुलोगे तुम....
मैं बढ़ूंगी पूर्ण तक...."अक्षुण्ण" हो जाऊंगी...........
           @पुष्पवृतियां







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©Pushpvritiya
  जब तुम कभी 
अपनी "कविताओं" में 
तराशोगे मुझे....

दर्पण को सटी उस "लाल बिंदी" पर 
मेरी "भौंहें" उकेरोगे....

जब नेत्र पटो को
pushpad8829

Pushpvritiya

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जब तुम कभी अपनी "कविताओं" में तराशोगे मुझे.... दर्पण को सटी उस "लाल बिंदी" पर मेरी "भौंहें" उकेरोगे.... जब नेत्र पटो को

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