तुझे चाहता हूँ, तुझे छोड़ सब को पता है। तू समझ न सकी, मेरी बातों को। या मैं समझा न सका, अपनी जज्बातों को। पता नहीं ये तेरी या मेरी ख़ता है। हाँ! अगर सच में मुहोब्बत है हमारे बीच, फ़िर तो कॉन्फॉर्मली ये मेरी ही ख़ता है। क्योंकि, ग़लती कभी भी नहीं होती लड़कियों की इस प्यार, मुहोब्बत और वफाओं की गलियों में इतना तो मुझे भी पता है। #पता_है_कि_क्या_मेरी_ख़ता_है