चाय और तुम 👇 कहानी अनुशीर्षक में पढ़े मोहम्मद को चाय की लत ऐसी लगी थी कि चाय की एक चुस्की अगर शाम के चार बजते बजते न मिले तो उसके सिर में दर्द हो जाता था। कई बार तो सकीना ने मोहम्मद की इस आदत से झुंझला कर कह दिया था कि " किसी भी चीज की ऐसी आदत अच्छी नहीं मगर तुम्हे मेरी सुननी ही कहां है। कल से चाय पीनी हो तो तुम्हीं बना लेना। मै तुम्हे जहर नहीं देने वाली।" लेकिन अगली बार जब शाम को मोहम्मद चाय नहीं मांगता तो सकीना का ही ध्यान बार बार घड़ी की ओर जाता और सोचती रहती ' न जाने क्यों आज अभी तक चाय के लिए आवाज नहीं आई । चाय का वक़्