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उनसे मिलने की खुशी मत पूछो दिन के ढलने की खुशी, मत

उनसे मिलने की खुशी मत पूछो
दिन के ढलने की खुशी, मत पूछो

वैसे तो मै कोई बड़ा लतीफानिगार नहीं
पर मेरे लतीफों पर वो कितना हसीं, मत पूछो 

वो सक्श जिसने जख्म बेहिसाब दिए 
वो दिखता है कितना हशीं, मत पूछो 

फोन करने पर पूछते हैं - कोई काम था ?
ओ मेरे हमनशी ,मत पूछो 

तेरा हर जवाब मेरा वो तोहफा है 
जो तेरे उंगलियों में अब भी है फसी, मत पूछो

©KUMAR MANI(#KM_Poetry)
  #मत_पूछो