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KUMAR MANI(#KM_Poetry)
वो मुझसे मिलने मेरे घर आया था मैं और उससे क्या ही कहता मैंने हाथ में चाय दी और कहा अब वो यहां नही रहता तुम्हे कुछ कहना था उससे ? मुझे ? उसका पता? नही पता ! सुना है तुम्हारे दो बच्चे हैं तू उसकी छोड़ और बता ? वो तुम्हारे ख़त नही संभाल पाया तुम माफ कर दोगी ना उसकी खता ? ©KUMAR MANI(#KM_Poetry) #soulmate
KUMAR MANI(#KM_Poetry)
मुझको दीवाना करने वाले ,कहां गए? मेरा घर मयखाना करने वाले,कहां गए ? तेरा कहा मेरी दीवारों को रटा हुआ मेरी चिट्ठी अफसाना करने वाले ,कहां गए? मय तो तेरी आंखो से छलका करता था मेरी आंखो को पैमाना करने वाले खा, गए? मुझसे तो जन्मों का रिश्ता लगता था कोई फिर अपनों में बेगाना करने वाले, कहां गए? बाबू ,सोना ,बेबी ये सब औरों के थे हर बातों में ज़ाना, ज़ाना करने वाले ,कहां गए? ©KUMAR MANI(#KM_Poetry) #amirkhan
KUMAR MANI(#KM_Poetry)
वो मानते हैं जो चाहे वो उन्हें मिल जाये मैं चाहता हूं ये गुरूर उन्हें कुछ देर टिक जाये अनमोल थे इक वक्त हम भी उन्हें खबर हो वो चाहते है कि हम बेमोल बिक जाये मेरी अकड़ का उन्हें अभी अंदाजा नहीं हम छुईमुई नहीं हवा चले और झुक जाये कान बहरे हुए तेरी तल्खियां सुन के तू आवाज दे मजाल है हम और रुक जाये आज बारात मेरी सितारों के बीच निकलेगी दुआ है चांद थोड़ी देर और छुप जाये ©KUMAR MANI(#KM_Poetry) mante
mante
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तुम्हारे प्यार की मिठास बस इतना ही आज ! ©KUMAR MANI(#KM_Poetry) मिठास
मिठास
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अश्क राह भटक गई दिल से ना सहा गया पलके मैंने जो ढकी आंखों में तू छा गया कभी तेरे गम में सोया नहीं मैं रात भर अभी जो तू आई है तो गहरी नींद सो गया आंखें फिर भी खुली है देख लेना मन हो तो मैं वहीं खड़ा था जो रास्ता तेरे घर गया याद आऊंगा मैं गुजरोगी जब उस मोड़ से देखो मत कहना-अभी खड़ा था, गुजर गया ©KUMAR MANI(#KM_Poetry) gujar gya
gujar gya
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तुझसे कैसे मिलूं कुछ रास्ता है क्या तेरा मेरा राब्ता तू ही बता है क्या सब कुछ तो चला गया था तेरे साथ ही मुझमें मेरा भी कुछ बचा है क्या प्यार ना सही थोड़ी नफ़रत ही दिखा मैंने इश्क जताया तू भी जता है क्या तूने मुझको रुलाया बहुत है तू मुझको बता मेरी खता है क्या तू खुश तो नहीं है ये मुझे है पता मै भी हूं कैसा तुझे भी पता है क्या ©KUMAR MANI(#KM_Poetry) #क्या
KUMAR MANI(#KM_Poetry)
मेरे अलमारी में रखे किताबें बताएं मैं चाहता हूं , उम्र मेरी । कितनी किताबें सिरहने रात - साथ सोती रही हैं कितनों ने इस पत्थर हृदय का विरेचन कराया कितनों ने की संग में मीलों की यात्राएं किलोमीटर में आंका जाय मैं चाहता हूं , उम्र मेरी । और जो ये पन्ना मुड़ा है क्या जिंदगी बार बार इसे दोहराती रही है ? या कि है संभावना आगे पढ़उंगा फिर कभी ?? या कि एक युक्ति है मेरे पुनर्जन्म की ??? उस पर पड़े धूल इस बात के सूचक भी हैं कि जी नहीं है मैंने एक उम्र से ,उम्र मेरी । मेरे अलमारी में रखे किताबें बताएं मैं चाहता हूं , उम्र मेरी । ©KUMAR MANI(#KM_Poetry) #उम्र_मेरी
KUMAR MANI(#KM_Poetry)
कोई फिरसे मेरा नाम ले, फिरसे मेरी जां निकले आह कम हो थोड़ी तो फिर से ये दुआ निकले वह जो तय था इबादतगाहों से आवाज़ क्या निकली तुम अपने छत पर निकली, हम अपने छत पर निकले एक तरफ तुम और नीम पर चहचाहती पंछियां एक तरफ मंदिरों से घंटियां, मस्जिदों से अजां निकले वह जो आवारा सा एक आशिक फिरता है तेरी आंखों में कोई जो गया कूचे में तुम्हारे, फिर क्या निकले यह जो पिलाती हो आंखों से नशीले जाम तुम तुम्हारे घर की खुदाई हो तो मयकदा निकले ©KUMAR MANI(#KM_Poetry) #निकले
Deepak tiwari
Deepak tiwari