अबाधित अंनतता के ऐशवर्य मे घुला हुआ वो निराकार ईश्वर पूरे ब्रह्माण्ड की बागडोर सँभालने मे सक्षम है और मैं उसका. एक मात्र प्रतिनिधि हूँ इस ग्रह पर जो अतित. के मोहज़ाल.से विमुक्त वर्तमान. के भरपूर खुशहाल. लम्हो क़ो जीते हुए सुखद भविष्य के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण इस जगत क़ो देना चाहता हूँ....... वो जगत जो स्मृतियों की सत्ता और अमरता मे विश्वास रखता है वो जगत जो नए मूल्यों का सृजन. करने मे अब तक असमर्थ रहा है. जहाँ अभी भी अश्लील होती जा रही विलासिता पर अंकुश आज तक नहीं लग पाया है ©Parasram Arora अंकुश