पल्लव की डायरी नूर आँखो का ओझल हो रहा है चश्मो से बचपन भी सुशोभित हो रहा है धुन सवार है आसमान चूमने की अंग उपांग दुर्बल कर रहा है धुंधले अक्षरों का दीदार नही एनको का उपयोग कर रहा है कसरत योगा ध्यान छोड़ भौतिकता में मन मचल रहा है टीवी,मोबाइल,लेपटॉप से चिपक कर नजरो की रोशनी का स्तर गिर रहा है अंधापन कम उम्र में बढ़ रहा है आर्टिफिशल चश्मो से अब जीवन आगे बढ़ रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Books अंधापन बचपन मे बढ़ रहा है #Books