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इत्मीनान सी शाम मे उसका ग़म है मेरे अहतराम मे ©विव

इत्मीनान सी शाम मे
उसका ग़म है मेरे अहतराम मे

©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )
  अल्फाज़ 113