किया बचा है खोने को , इस लालच कि दाव मे सत्य तो बिक चुका है , राजनीती कि गांव मे बस आखिरी चुनाव , उनका भी कुछ ऐसा है पाऊं है धरातल मे , सोच गगन कि छाव मे ।। ~ माधव झा ©Madhav Jha rajniti