मैं तेरी मुश्किलें, बढ़ाने थोड़ी आया था, तुझे सब की नजरों में, गिराने थोड़ी आया था। मैं चाहता था, हर खुशी मिले जिंदगी में तुझे, गम बांटना चाहता था, रुलाने थोड़ी आया था। मिलाया तुमसे रब ने, इसमें भी कोई राज होगा, मैं कोई तुझे घर से, बुलाने थोड़ी आया था। एहसान है तुम्हारा, इतना प्यार दिया मुझे, मैं यहां सिर्फ पैसा, कमाने थोड़ी आया था। देखा है मैंने, तुझे समझ नहीं है दुनिया की, बाकी मैं तुझे कुछ, समझाने थोड़ी आया था। अब जिनका काम है जलना,वो तो जलते रहेंगे, मैं पानी जैसा हूं, आग लगाने थोड़ी आया था। ये जो बुरा हो रहा है, कुछ अच्छा है इसमें, 'ओमबीर काजल' औकात सबकी,तुझे दिखाने थोड़ी आया था। ©Ombir Kajal आया था