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।।बचपन की मौज।। यादों की जुगाली में, मशगूल दिल-औ-द

।।बचपन की मौज।।
यादों की जुगाली में, मशगूल दिल-औ-दिमाग।
ढूंढ रहे बीते उम्र, के वो पल बेहिसाब।
तब ना, कमाने के लीये दिन की दौड़,
ना,रुतबे के लीये, खर्च की होड़।
बस दिन उगे, चिड़िया संग चहके,
नदियाँ नहाये, गलियों की धूल उड़ाये।
शाम को सूरज दबाये, घर को आये।
ना वक़्त की, परवाह कोई।
ना किसी दूर सोच, का बोझ।
रह-रह कर याद आती,
जिन्दगी का अहसास कराती।
यादों की जुगाली,
में वो बचपन की मौज । ।।बचपन की मौज।।
यादों की जुगाली में, मशगूल दिल-औ-दिमाग।
ढूंढ रहे बीते उम्र, के वो पल बेहिसाब।
तब ना, कमाने के लीये दिन की दौड़,
ना,रुतबे के लीये, खर्च की होड़।
बस दिन उगे, चिड़िया संग चहके,
नदियाँ नहाये, गलियों की धूल उड़ाये।
शाम को सूरज दबाये, घर को आये।
।।बचपन की मौज।।
यादों की जुगाली में, मशगूल दिल-औ-दिमाग।
ढूंढ रहे बीते उम्र, के वो पल बेहिसाब।
तब ना, कमाने के लीये दिन की दौड़,
ना,रुतबे के लीये, खर्च की होड़।
बस दिन उगे, चिड़िया संग चहके,
नदियाँ नहाये, गलियों की धूल उड़ाये।
शाम को सूरज दबाये, घर को आये।
ना वक़्त की, परवाह कोई।
ना किसी दूर सोच, का बोझ।
रह-रह कर याद आती,
जिन्दगी का अहसास कराती।
यादों की जुगाली,
में वो बचपन की मौज । ।।बचपन की मौज।।
यादों की जुगाली में, मशगूल दिल-औ-दिमाग।
ढूंढ रहे बीते उम्र, के वो पल बेहिसाब।
तब ना, कमाने के लीये दिन की दौड़,
ना,रुतबे के लीये, खर्च की होड़।
बस दिन उगे, चिड़िया संग चहके,
नदियाँ नहाये, गलियों की धूल उड़ाये।
शाम को सूरज दबाये, घर को आये।