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बाल मेरे खुले पसंद है ऐसा तुमने कहा था माथे से बिं

बाल मेरे खुले पसंद है
ऐसा तुमने कहा था
माथे से बिंदिया कभी मत हटाना
आंखों में काजल हमेशा लगाना
ऐसा तुमने कहा था

नहीं है अब साथ तुम्हारा
बेशक बन गये हो तुम
अब एक सितारा
जहां हो वहीं से देखो मुझे
आज भी वैसी ही रहती हुं
जैसा तुमने कहा था

लड़ती थी तुमसे,जिद करती थी तुमसे
रूठती थी तुमसे,तुम्ही से पूरी होती थी
हर ख्वाहिशें हमारी
अब लड़ती हुं,जिद करती हुं
रूठती हुं खुद से क्योंकि
जिंदगी में रह गयी है सिर्फ यादें तुम्हारी

तुम्हारी कमियों ने मुझे दुनियादारी सिखाया
मुझे आत्मनिर्भर, स्वावलम्बि,स्वाभिमानी बनाया
छोड़ गये जो घरौंदा उसे संवार लिया है
बनाये रखना हर रिश्ता ऐसा तुमने कहा था
तुम जहां हो वहीं से देखो मुझे
वैसा ही किया है जैसा तुमने कहा था
जैसा तुमने कहा था।।

©Garima Srivastava
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