शीतल धरा , श्यामल अंबर उजास क्षितिज शरमाया - सा तारों की चुनरी भी मद्धिम पड़ी ऐसा रूप चंद्र सरमाया - सा नव दुल्हन सी लगे प्रकृति किंचित नवयौवना रजनी भयी धरा - रंजन करे मदन मोहना शीतल पवन मधुर मुरली भयी झींगुरों का स्वर घुंघरू - सी ताल मधुर चाँदनी मुस्कायी री गोपियन संग रास खेले मुरारी वो रास पूर्णिमा आयी री #रास_पूर्णिमा #कार्तिक_पूर्णिमा व #प्रकाश_पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏