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जाती हूँ सबके घर में मौसी हूँ सभी की लेनी न पड

  जाती हूँ सबके घर में मौसी हूँ सभी की
  लेनी न पड़ती मुझको इजाजत न कभी भी
    
    बच्चे बड़े सभी को प्यार मिलता है मेरा
      रिश्ता जुड़ा हुआ सभी के दिल का है मेरा
     आवाज मेरी कोई भी सुनता है कभी भी

     मुझको पसंद दूध मलाई  है घरों की
       खाती हूँ शौक से मै किसी से न पूछती
      मुझसे न  छुटती है ये आदत है कभी भी

   दिखती हूँ शेर जैसी डरपोक बहुत हूँ
   रखती मैं चूहे खाने का भी शौक बहुत हूँ
  मै छोडती कोई भी दावत न कभी भी

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  बिल्ली मौसी

बिल्ली मौसी #कविता

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