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White चलो लौट कर फिर से अपने गांव को गांव बनाते है

White चलो लौट कर फिर से अपने गांव को गांव बनाते हैं,
कभी बरगद तो कभी नीम की छांव को फिर सजाते हैं।
जहां सुबह की पहली किरण मिट्टी को महकाती थी,
शाम को गांव की गालियां खूब संग संग शोर मचाती थीं 
चलो फिर से यादों का सुंदर चौपाल सजाते हैं,
चलो टीम टीम तारों संग सपने नए सजाते हैं 
जहां बैलगाड़ी की चर चर इक,नई धून सजाती थी,
खेतों कि परछाई हर दिन नया सवेरा लाती थी।
चलो लौट कर  माटी से फिर नाता वहीं बनाते हैं,
चलो उम्मीदों के आंगन में दीए वहीं जलाते हैं 
नदी  किनारे ठंडा पानी कल कल अब भी बहता है 
पगडंडी का कंकड़ अब भी ठोकर निहारा करता है 
चलो फिर से पत्थर संग ठोकर का खेल रचाते हैं
खिली हुई सरसों के संग मधुमास फिर लाते हैं 
मंदिर के घंटे की आहट से अंगड़ाई ले उठते थे
घर दुआर के राहों पे बेखौफ लड़ाई करते थे 
चलो लौट कर सन्नाटे को गांव से छोड़ के आते हैं,
फिर गायों को घुमाते हैं और लंबी दौड़ लगाते हैं,
वहां पेड़ हमारे साथी थे, और आसमान भी अपना था,
तोते, कुत्ते,भालू,बंदर खेल तमाशा अपना था
कभी नीम तो कभी बरगद की छांव वहीं बनाते हैं,
चलो लौट कर फिर से अपने गांव को गांव बनाते हैं।
राजीव

©samandar Speaks #love_shayari  Satyaprem Upadhyay  Mukesh Poonia  Radhey Ray  मनीष शर्मा  Sandeep L Guru
White चलो लौट कर फिर से अपने गांव को गांव बनाते हैं,
कभी बरगद तो कभी नीम की छांव को फिर सजाते हैं।
जहां सुबह की पहली किरण मिट्टी को महकाती थी,
शाम को गांव की गालियां खूब संग संग शोर मचाती थीं 
चलो फिर से यादों का सुंदर चौपाल सजाते हैं,
चलो टीम टीम तारों संग सपने नए सजाते हैं 
जहां बैलगाड़ी की चर चर इक,नई धून सजाती थी,
खेतों कि परछाई हर दिन नया सवेरा लाती थी।
चलो लौट कर  माटी से फिर नाता वहीं बनाते हैं,
चलो उम्मीदों के आंगन में दीए वहीं जलाते हैं 
नदी  किनारे ठंडा पानी कल कल अब भी बहता है 
पगडंडी का कंकड़ अब भी ठोकर निहारा करता है 
चलो फिर से पत्थर संग ठोकर का खेल रचाते हैं
खिली हुई सरसों के संग मधुमास फिर लाते हैं 
मंदिर के घंटे की आहट से अंगड़ाई ले उठते थे
घर दुआर के राहों पे बेखौफ लड़ाई करते थे 
चलो लौट कर सन्नाटे को गांव से छोड़ के आते हैं,
फिर गायों को घुमाते हैं और लंबी दौड़ लगाते हैं,
वहां पेड़ हमारे साथी थे, और आसमान भी अपना था,
तोते, कुत्ते,भालू,बंदर खेल तमाशा अपना था
कभी नीम तो कभी बरगद की छांव वहीं बनाते हैं,
चलो लौट कर फिर से अपने गांव को गांव बनाते हैं।
राजीव

©samandar Speaks #love_shayari  Satyaprem Upadhyay  Mukesh Poonia  Radhey Ray  मनीष शर्मा  Sandeep L Guru