दर्द का रिश्ता है गम की निशानी है जिंदगी अखबार मे सुबह की कहानी है सोने के सिक्के है सच़्च की तलाश मे झुठ के ब्यपार मे आदमियत दिखानी है नादीदे(लालची) नजर इतिहाद(दोस्ती) पे थमी है इबादते खुदा बस ख्वाब मे हीं आनी है गफलतो मे गुजरती है शाम-ए-दीवानी तन्हाई मे डुबी ये सुबहो सुहानी है अब दरख्तों मे घोसलें सुने पड़े हैं परिंदों का डेरा बिते कल की कहानी है समन्दर कहाँ अब इमां है जहाँ में झुठी तबीयत है आराईश(बनावटी पन) दिखानी है राजीव.. पंडित नरेन्द्र द्विवेदी Ritika Rajput Sumit Gupta Parul Umale Vishal Jha