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मुझे गांव पहुँचा दो माँ 👇 कविता अनुशीर्षक में

मुझे गांव पहुँचा दो माँ

👇
 
कविता अनुशीर्षक में पढ़े हवा सुनहरी , बहती थी जहाँ
जहाँ कल कल नदिया बहती थी 
हरियाली की चादर ओढ़े 
जहाँ धरती मेरी रहती थी
हरे हरे लहराते खेतों से
फिर से आज मिलवा दो माँ
याद आती है बहुत गांव की 
वो कुल्हड़ वाले कप में आज
मुझे गांव पहुँचा दो माँ

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कविता अनुशीर्षक में पढ़े हवा सुनहरी , बहती थी जहाँ
जहाँ कल कल नदिया बहती थी 
हरियाली की चादर ओढ़े 
जहाँ धरती मेरी रहती थी
हरे हरे लहराते खेतों से
फिर से आज मिलवा दो माँ
याद आती है बहुत गांव की 
वो कुल्हड़ वाले कप में आज