एकबार अपना हौसला आज़मा कर दिखा दो अपनी किश्ती की पतवार तूफ़ानो की तरफ मोड़ कर दिखा दो ये दुनिया तुम्हे कभी रास नही आई थी अब इस दुनिया को ठुकरा कर तो दिखा दो समझा नही पाए तुम अपनी कैफ़ीयत अपने दिल को कभी अब ज़रा इस खामोशी में थोड़े आंसू गिरा कर दिखा दो जिस मालिक ने तुम्हे इस जिस्म के लिये चादर बक्शी है उस चादर को उसकी असली हालत में लौटा कर दिखा दो ©Parasram Arora जिस्म की चादर