हथेली पर रखी है जिम्मेदारी, है कर्ज साहूकारों का भी भारी,, जो इस साल तुमसे मिल न पाऊं, तो बहना मान रखना तुम हमारी, है आता पर्व एक दिन की खातिर, तेरी उम्मीद को मैं जानता हूं, है कितना कीमती नाजुक सा धागा, मैं उसको खूब हीं पहचानता हूं, मगर तुम ही तो हो जो जान पाओ, मेरी सारी फकीरी मान पाओ, है देखती दूर से हो तुम भले हीं, मगर तुम जानती मुश्किल हमारी, ज़रूरी तुम से ज्यादा कुछ नहीं है, उम्मीदें है मगर औरों को हमसे और भारी,, ©चंद #rakshabandhan #Dranupamsingh #चंद #चंदशेर #Chand #भाई #बहना #राखी #Rakhi #SisterLove