Nojoto: Largest Storytelling Platform

ये मेरे अजीज,दिल के करीब,तुझे दोहा लिखूं या छंद लि

ये मेरे अजीज,दिल के करीब,तुझे दोहा लिखूं या छंद लिखूं,
लिख कर देख लिया तुझको चौपाई,
पर हो न सकी दिल की भरपाई,
अब खोने सा लगा हूं अपनी परछाईं,
सूझ नहीं पड़ता है क्या लिख दूं,
मन करता है अब बस दुंद फंद लिखूं,
न दोहा न सवैया न छंद लिखूं,
पर सोचता हूं,दिल न दुखे,मेरे चाहने वालों का,
यही सोचकर,लकीरें चंद लिखूं,
लिखने वाले तो गजब लिख डालते हैं, बस तमन्ना यही है,
किसी गरीब के फटे पर पैवंद लिखूं,
हूं प्रथ्विराज को चाहने बाला,
कुछ भी लिख दूंगा पर क्यों जयचंद लिखूं,, क्यों जयचंद लिखूं,
ये मेरे अजीज,दिल के करीब,तुझे दोहा लिखूं या छंद लिखूं,
लिख कर देख लिया तुझको चौपाई,
पर हो न सकी दिल की भरपाई,
अब खोने सा लगा हूं अपनी परछाईं,
सूझ नहीं पड़ता है क्या लिख दूं,
मन करता है अब बस दुंद फंद लिखूं,
न दोहा न सवैया न छंद लिखूं,
पर सोचता हूं,दिल न दुखे,मेरे चाहने वालों का,
यही सोचकर,लकीरें चंद लिखूं,
लिखने वाले तो गजब लिख डालते हैं, बस तमन्ना यही है,
किसी गरीब के फटे पर पैवंद लिखूं,
हूं प्रथ्विराज को चाहने बाला,
कुछ भी लिख दूंगा पर क्यों जयचंद लिखूं,, क्यों जयचंद लिखूं,
rajeshrajak4763

Rajesh rajak

New Creator