ऊपरवाले पर रख यक़ीं, इरादों से रौशन हर अधूरी ज़मीं। गर नीयती के तूफां जो आएं भी, नीयत का चिराग़ बुझ ना पाए कभी। ©नवनीत ठाकुर ऊपरवाले पर रख यक़ीं, इरादों से रौशन हर अधूरी ज़मीं। नीयती के तूफां जो भी आएं, नीयत का चिराग़ बुझ ना पाए।