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#गाड़ी_बुला_रही_है, #सीटी_बजा_रही_है।�

#गाड़ी_बुला_रही_है,
            #सीटी_बजा_रही_है।🚊🚓🚕🚈🚌🚌🚂🚂🛺🚗🚄✈️✈️🛬🎊🎊

आ गई  गर्मी की छुट्टियां।🧚🧚
याद आई  पीहर की गलियां 💃💃💃💃
क्या हुआ जो बच्चे अब स्कूल नहीं जाते।🕺
अब नहीं फ़ुरसत, कहां!वो साथ में आते।👪
सब बदला ,हम भी बदले,वो भी बदला।
पर हाय मुॅंआ ये दिल! ना बदला।♥️
अभी भी मचलता है कई बार,
पाना है बचपन और मायका फिर एक बार।💞💞💞💞

सिर्फ चंद दिनों के लिए ,
ना सही चंद घंटों के लिए ।
मिल जाए मां सा मनुहार❣️
पिता का दुलार।❣️
कुछ मोहलत का अधिकार।👣
हमारे भी कनेक्शन के है़ं सूत्रधार।💝
वो दीवारें के याद आते हैं स्पर्श ।🏪
जहां हम रहते थे सहर्ष।😄😄😄😄😄😄😄
हमारी मन पसंद जगह छत,🏬
जहां ढेर सारी गप्पे होती थी।🥰🥰🥰🥰
वो खिड़कियां जहां से हम झांकते थे भविष्य।🏢
वो दरवाजा जहां से हमारे बढ़ते कदम,🏫
 निहारा करती थी हमारी मां👩‍❤️‍👩
वो द्वार जहां बैठ  मम्मी करती थी इंतजार।🙅
ट्रेन का समय होते ही हो जाती खबरदार।🙋
पहुंचते ही करती थी मनुहार,👯🙆🙆👸👸
और बस प्यार, प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार💖💖💖

याद आता है हमारा वो घर द्वार।
याद आती है मां पिता की आंखों से ओझल होते तक टकटकी लगाकर देखती सूनी नज़रें,
शायद कहती थीं अब कब मिलेंगे।
शायद कहती थीं समेट लो सारी ममता मनुहार
शायद !!!
शायद!!! बहुत सारी मन की अनकही बातें

वीणा खंडेलवाल
 तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal गर्मी की छुट्टियां
#गाड़ी_बुला_रही_है,
            #सीटी_बजा_रही_है।🚊🚓🚕🚈🚌🚌🚂🚂🛺🚗🚄✈️✈️🛬🎊🎊

आ गई  गर्मी की छुट्टियां।🧚🧚
याद आई  पीहर की गलियां 💃💃💃💃
क्या हुआ जो बच्चे अब स्कूल नहीं जाते।🕺
अब नहीं फ़ुरसत, कहां!वो साथ में आते।👪
सब बदला ,हम भी बदले,वो भी बदला।
पर हाय मुॅंआ ये दिल! ना बदला।♥️
अभी भी मचलता है कई बार,
पाना है बचपन और मायका फिर एक बार।💞💞💞💞

सिर्फ चंद दिनों के लिए ,
ना सही चंद घंटों के लिए ।
मिल जाए मां सा मनुहार❣️
पिता का दुलार।❣️
कुछ मोहलत का अधिकार।👣
हमारे भी कनेक्शन के है़ं सूत्रधार।💝
वो दीवारें के याद आते हैं स्पर्श ।🏪
जहां हम रहते थे सहर्ष।😄😄😄😄😄😄😄
हमारी मन पसंद जगह छत,🏬
जहां ढेर सारी गप्पे होती थी।🥰🥰🥰🥰
वो खिड़कियां जहां से हम झांकते थे भविष्य।🏢
वो दरवाजा जहां से हमारे बढ़ते कदम,🏫
 निहारा करती थी हमारी मां👩‍❤️‍👩
वो द्वार जहां बैठ  मम्मी करती थी इंतजार।🙅
ट्रेन का समय होते ही हो जाती खबरदार।🙋
पहुंचते ही करती थी मनुहार,👯🙆🙆👸👸
और बस प्यार, प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार💖💖💖

याद आता है हमारा वो घर द्वार।
याद आती है मां पिता की आंखों से ओझल होते तक टकटकी लगाकर देखती सूनी नज़रें,
शायद कहती थीं अब कब मिलेंगे।
शायद कहती थीं समेट लो सारी ममता मनुहार
शायद !!!
शायद!!! बहुत सारी मन की अनकही बातें

वीणा खंडेलवाल
 तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal गर्मी की छुट्टियां