खिलखिलाती ऐ जमीं, हर धड़कनें तेरे लिए... हर सुब्ह हर शाम हवाएं मौसमी तेरे लिए... मैं और मेरी लगन किस काम फिर ये बदन... जो मिट न सके अहले वतन तेरे लिए... Ahle watan tere liye