मुकद्दर में किसका चेहरा है.? ढलते सूरज के साथ, चांद का चमकता नूर है!! वो कौन है.,अनजाना-सा... या फिर तराशा हुआ हूर है।। मिलेगा वो कब, कहां कोई जाने ना!! आगाज़ होगा क्या तब कोई तराना.? या फिर शुरू होगा नया अफसाना।। बरसेगी शायद धीमी-सी बरसात.. कहीं बरसेगा पानी भी तो, मिलेगा उसके हाथों से जब मेरा हाथ.. बनेगी कोई दिलचस्प कहानी भी तो।। दिल के पिंजरे में कैद था.. किसी कोने में अनछुआ-सा एहसास!! संग चलेंगे हर कदम.. हमसफर पुराना,पर नई कहानी की आवाज़।। देखें तो कोई लगे ये रिश्ता गहरा है.. मुकद्दर में किसका चेहरा है.? -निकिता रावत। लफ़्ज़ों की जुबां ✍️ #अनदेखाअनजाना