तुम हँस देना 👇 कविता अनुशिर्षक में पढ़े तुम हँस देना जब भी बात हँसी की हो तुम हँस देना मैं हँसू न हँसू तुम जब हँसना तो खिलखिलाकर हँसना बेबाक होकर बिना किसी की परवाह किये बिना यह सोचे कि तुम्हे यूं हँसते देखकर लोग क्या कहेंगे