कुछ घरोंदे घरों से मजबूत मिल जाते हैं आज भी चतुराई की नहीं चलती जहां कोई चाल आज भी पुरानी पड़ खुशियों को नया बनाए रखते हैं खुश रहने की चाह को सबसे जरूरी समझते हैं आज भी बसती है कच्ची हवेलियों में पक्के रिश्तो की खुशबू फरेबी फरिश्तो के लालच में आए बगैर पकड़ लेते है झूठ बबली भाटी बैसला, ©Babli BhatiBaisla चाँदनी