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रहता नहीं मैं मीनारों में, रहता नहीं मैं शिवालो मे

रहता नहीं मैं मीनारों में,
रहता नहीं मैं शिवालो में...
भक्त की भक्ति का भूखा,
रहता में उसकी शुद्ध विचारों में...
पत्थर को पत्थर ही रहने दो, 
मत उसको मेरा अक्स करो...
तुम स्वयम इश्वर के प्रतिबिम्भ हो,
अगर अपने भीतर झांक सको...
मन्दिर में दीप मत जलाओ,
अपने मन का अंधियारा दूर करो..
मुझे प्रसाद न चढ़ा कर,
किसी गरीब के भूख को दूर करो...
मुझको क्यों ढूंढ रहे हों दर दर,
मैं तो तेरे हृदय में बसता हूँ...
तेरी सोच के अनुसार कभी,
राम रहीम रावण बनता हूँ।।

anjaan musafir.... #ishwar
रहता नहीं मैं मीनारों में,
रहता नहीं मैं शिवालो में...
भक्त की भक्ति का भूखा,
रहता में उसकी शुद्ध विचारों में...
पत्थर को पत्थर ही रहने दो, 
मत उसको मेरा अक्स करो...
तुम स्वयम इश्वर के प्रतिबिम्भ हो,
अगर अपने भीतर झांक सको...
मन्दिर में दीप मत जलाओ,
अपने मन का अंधियारा दूर करो..
मुझे प्रसाद न चढ़ा कर,
किसी गरीब के भूख को दूर करो...
मुझको क्यों ढूंढ रहे हों दर दर,
मैं तो तेरे हृदय में बसता हूँ...
तेरी सोच के अनुसार कभी,
राम रहीम रावण बनता हूँ।।

anjaan musafir.... #ishwar