चली है धरती चला समंदर चला आसमां मस्त कलंदर अपनी ही धुन में है चलता राम नाम की माला जपके मुंह में धब्बा काला रखके मुंह में राम बगल में छुरी करता अपनी हसरत पूरी तभी मचा है आज बवंडर चली है धरती चला समंदर चला आसमां मस्त कलंदर राजा रंक को धोखा देता फकीर बने ईश्वर से सुंदर धोखा फरेब की इस दुनिया में सखा ने घोंपा भाई को खंजर पाप लोभ के चाहत में सत्य पराजित और प्रताड़ित सच रहता है अब दब के अंदर चली है धरती चला समंदर चला आसमां मस्त कलंदर काले बादल छाए रहते हैं नफरत का विश फैलाए रहते हैं दंगों के बदले इनकी दुकान है चलती नफरत की तूफान है चलती सच्चाई की जो बात कही है दुनिया को ले साथ चली है देखो इन में कैसा मचा बवंडर अब कैसे कौन बनेगा सिकंदर चली है धरती चला समंदर चला आसमां मस्त कलंदर #NojotoQuote चली है धरती #Astitva