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दास्ताँ अपनी सुनाने दीजिए, आँख में पानी तो आने दी

दास्ताँ अपनी सुनाने दीजिए, 
आँख में पानी तो आने दीजिए. 

लोग जो सोचें हमें पर्वा नहीं, 
रूठते हैं रूठ जाने दीजिए. 

कब तलक हम इश्क़ में ग़मगीं रहें, 
ग़म भुला के मुस्कुराने दीजिए. 

दिल से खेलें आप जैसे दिल करे ,
टूटता है टूट जाने दीजिए.

आप हमसे ना मिलें तो ना सही,
ख़्वाब पलकों पर सजाने दीजिए.

आज दे दें उनके हाथों में गुलाब,
आज क़िस्मत आज़माने दीजिए. 

दोस्ती का अब नया इक दौर हो,
दुश्मनी हमको भुलाने दीजिए.

©Mathur Puneet #gazals
दास्ताँ अपनी सुनाने दीजिए, 
आँख में पानी तो आने दीजिए. 

लोग जो सोचें हमें पर्वा नहीं, 
रूठते हैं रूठ जाने दीजिए. 

कब तलक हम इश्क़ में ग़मगीं रहें, 
ग़म भुला के मुस्कुराने दीजिए. 

दिल से खेलें आप जैसे दिल करे ,
टूटता है टूट जाने दीजिए.

आप हमसे ना मिलें तो ना सही,
ख़्वाब पलकों पर सजाने दीजिए.

आज दे दें उनके हाथों में गुलाब,
आज क़िस्मत आज़माने दीजिए. 

दोस्ती का अब नया इक दौर हो,
दुश्मनी हमको भुलाने दीजिए.

©Mathur Puneet #gazals