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विषय - माँ की करुण पुकार कौशल्या के कर्जदार

विषय   -    माँ की करुण पुकार

कौशल्या के कर्जदार , जग के पालन हार 
आओ अब बसुधा को ,  फिर से संवारिये ।

छोड आओ फिर धाम , बनकर घनश्याम,
यशोदा के नन्दलाला , मातु को पुकारिये ।

फिर सब छले यहाँ , देख सुत जले यहाँ,
माँ कब तक शिशु की  , नजर उतारिये ।

देख रहे बाट सभी , भूले नहीं बात कभी ,
आज अपनी बात पे , प्रभु तो पधारिये ।

              महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय   -    माँ की करुण पुकार

कौशल्या के कर्जदार , जग के पालन हार 
आओ अब बसुधा को ,  फिर से संवारिये ।

छोड आओ फिर धाम , बनकर घनश्याम,
यशोदा के नन्दलाला , मातु को पुकारिये ।
विषय   -    माँ की करुण पुकार

कौशल्या के कर्जदार , जग के पालन हार 
आओ अब बसुधा को ,  फिर से संवारिये ।

छोड आओ फिर धाम , बनकर घनश्याम,
यशोदा के नन्दलाला , मातु को पुकारिये ।

फिर सब छले यहाँ , देख सुत जले यहाँ,
माँ कब तक शिशु की  , नजर उतारिये ।

देख रहे बाट सभी , भूले नहीं बात कभी ,
आज अपनी बात पे , प्रभु तो पधारिये ।

              महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय   -    माँ की करुण पुकार

कौशल्या के कर्जदार , जग के पालन हार 
आओ अब बसुधा को ,  फिर से संवारिये ।

छोड आओ फिर धाम , बनकर घनश्याम,
यशोदा के नन्दलाला , मातु को पुकारिये ।