विषय - माँ की करुण पुकार कौशल्या के कर्जदार , जग के पालन हार आओ अब बसुधा को , फिर से संवारिये । छोड आओ फिर धाम , बनकर घनश्याम, यशोदा के नन्दलाला , मातु को पुकारिये । फिर सब छले यहाँ , देख सुत जले यहाँ, माँ कब तक शिशु की , नजर उतारिये । देख रहे बाट सभी , भूले नहीं बात कभी , आज अपनी बात पे , प्रभु तो पधारिये । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय - माँ की करुण पुकार कौशल्या के कर्जदार , जग के पालन हार आओ अब बसुधा को , फिर से संवारिये । छोड आओ फिर धाम , बनकर घनश्याम, यशोदा के नन्दलाला , मातु को पुकारिये ।