सादगी मे सिमटी आखों मे सपने समेट जब मै ख्बावों के शेहर मे आयी थी उचा उड़ने कि लालसा आशमना को छूने कि चाहत थी ढेरों ख्बावों की जूगुनूयें बंद आँखों मे टिमटिमाती थी बंद मुठी मे दूनिया जितने की ताकत और मेरे आँखों मे सपनों कि दूनिया बसती थी चाँद तक का ना हो सफर पर तारे चुम लेने कि दिल मे चाहत बसती थी रास्ते कि कठनाइयों की ना थी खबर ना उनसे निपटने की इलम कहीं से पायी थी फिर भी सबसे आगे बढ़ने की जूनून सर पे छायी थी आगे बढ़ने की दौर मे कई रातों की निदं हमने गवायी थी ख्वाबों को तो माँ के आँखों से बून के लायी थी ख्वाबों के आसमां मे एक तारा हमने भी जग मगायी थी कठिन मेहनत से जगमगायीं आसामां मे हार का डर अमामाबस्या बन के छायी थी फिर भी अमामाबस्या के बाद चाँदनी रात की उमिद दिल मे बंधायी थी मेहफिलों कि सान ना सही पर चमकते नामों के बिच एक नाम हमने भी चाही थी दिलकश नाजारा ना दिखें आँखों को पर अपनों के आँखों मे सूकून की निदं बसानी चाहि थी सादगी मे सिमटी ढेरों सपने लेकर ख्वाबों के शैहर मे जब मै आयी थी #kavitaQuotes #dil_ki_chahat #khwabon_ka_aashma #chand_chhune_ki_chahat #सादगी मे सिमटी आखों मे सपने समेट जब मै ख्बावों के शेहर मे आयी थी उचा उड़ने कि लालसा