कभी कभी ये थकान कितना थका देती है जैसे मौत दस्तक

कभी कभी 
ये थकान कितना थका देती है
जैसे मौत दस्तक देती है ख़्वाब में 
और नींद उड़ा देती है

क्या है जो इतना थकाता है
परिंदा दरख़्त पर आते आते आहत हो जाता है

कब तक रखे हिम्मत
कब तक ख़ुद को संभाले
आईने ने भी डरना शुरू कर दिया है
अब खुद में कैसे झांके
खुद को कैसे खंगाले

©Manish Sarita(माँ )Kumar
  थकान
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