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तुम्हारे प्रेम को  अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तु

तुम्हारे प्रेम को 
अश्कों में भिगोना नहीं चाहती
तुम्हें पा लेने की लालसा में,
तुम्हें खोना नहीं चाहती।
तुम तो प्रीत हो हृदय में समाहित।
लाल रक्त कणिकाओं संग तुम भी
हृदय से मस्तिष्क तक विचरते रहते हो!
कभी होंठो पे मुस्कुराहट बनकर,
ओस की बूंदों सा कभी ढलकर!
कभी बहती नदियों सा कल-कल,
हृदय की दीवारों पर चित्र उभरकर
इन चित्रों को धोना नहीं चाहती
तुम्हें पा लेने की लालसा में,
तुम्हें खोना नहीं चाहती।
मिलो-न-मिलो प्रीत तुमसे रहेगी,
जीवन अंतिम क्षणों तक,
तुम्हें रोना नहीं चाहती!
तुम्हारे प्रेम को 
अश्कों में भिगोना नहीं चाहती
तुम्हें पा लेने की लालसा में,
तुम्हें खोना नहीं चाहती।

©दीपा साहू "प्रकृति"
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तुम्हारे प्रेम को 
अश्कों में भिगोना नहीं चाहती
तुम्हें पा लेने की लालसा में,
तुम्हें खोना नहीं चाहती।
तुम तो प्रीत हो हृदय में समाहित।
लाल रक्त कणिकाओं संग तुम भी
हृदय से मस्तिष्क तक विचरते रहते हो!

#Hope #Prakriti_ #deepliner #tum love #intejar #Yaad #Nozoto तुम्हारे प्रेम को  अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में, तुम्हें खोना नहीं चाहती। तुम तो प्रीत हो हृदय में समाहित। लाल रक्त कणिकाओं संग तुम भी हृदय से मस्तिष्क तक विचरते रहते हो! #Poetry

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