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दीपा साहू "प्रकृति"
तुम मैंने सिर्फ तुम्हे चाहा। जानती तो मैं भी नहीं क्यों ? हां पर चाहा ..................... दिल कभी कभी कह उठता है, जा कदम बढ़ा ले,उस ओर..... जिंदगी दुबारा मौका न देगी, क्या पता .......?.......?.... वो तेरा इंतज़ार कर रहा हो.????? पर जाने क्या चीज़ रोक लेती है, आँखों में आँसू सोख लेती है, कदम वापस मुड़ जाते हैं, औऱ तुम्हे, और तुम्हे दिल के किसी कोने में समेट लेती है। ©दीपा साहू "प्रकृति" #lakeview #Prakriti_ #deepliner #love #tum #poem #followers #Nozoto
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तुम्हारे ख़्वाब पूरे होते रहें बस दिल यही दुआएँ करता है। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakriti_ #deepliner #tum #love
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तनहा रह पाना एक जटिल प्रक्रिया..... ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakriti_
दीपा साहू "प्रकृति"
मैं तुम्हें पल-पल याद करती हूँ, तुम्हारा सोचना कि तुम्हें भूल जाऊँगी, गलतफहमी है तुम्हारी। ©दीपा साहू "प्रकृति" #dipa_sahu_prakriti #Prakriti_ #deepliner #writer #afsana_dip_s_15 #cg #raipur
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वक़्त के हाथों बिकी इंतज़ार तुम्हारा कर रही। बेबसी है लाचारी पर ऐतबार तुम्हारा कर रही। ©दीपा साहू "प्रकृति" तुम न मिलोगे तो ज़िंदा होकर ज़िंदा मर जायेंगे ज़िंदा लाश की चलती साँसें अपनों को बटवाएँगे। खुशियों में शामिल होंगे उनके मुस्कुराकर,यू भी, पर दिल की मुस्कुराहट तेरी मुट्ठी में छिपाएँगे। फूल शबनम की लड़ियों से सजी हर सुबह, हर चमकते मोती में तुम्हें ही ढूंढते पाएंगे। छुपकर जब याद आएगी तुम्हारी बिन तुम्हारें तकिए के नीचे हर आँसू हम छिपाएँगे
तुम न मिलोगे तो ज़िंदा होकर ज़िंदा मर जायेंगे ज़िंदा लाश की चलती साँसें अपनों को बटवाएँगे। खुशियों में शामिल होंगे उनके मुस्कुराकर,यू भी, पर दिल की मुस्कुराहट तेरी मुट्ठी में छिपाएँगे। फूल शबनम की लड़ियों से सजी हर सुबह, हर चमकते मोती में तुम्हें ही ढूंढते पाएंगे। छुपकर जब याद आएगी तुम्हारी बिन तुम्हारें तकिए के नीचे हर आँसू हम छिपाएँगे
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