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मन की चाहत हमें अक्सर नचाती है चाहत के आगे झुकाती

मन की चाहत हमें अक्सर नचाती है
चाहत के आगे झुकाती है
कभी- कभी बेसुध हो जाने को,
या खुद को भूला देने को उकसाती है
ये चाहतें भी ना क्या-क्या करवाती हैं
बेवक़्त, बेहिसाब.....

©Rajni Sardana
  #Dance_of_heart #चाहत