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कई वर्ष पहले जो बीज परम्पराओ के हमने बोये थ

कई वर्ष  पहले  जो  बीज  परम्पराओ के 
हमने बोये   थे 
आज  वो   विकसित  हो कर  फल फूल  रहे हैँ 
क्योंकि  हमने  सही  समय पर  दिया   था  
उन्हें  खाद  पानी  का  पाथेय  और 
मौसम  के  हर  ज़ुल्म से उन्हें  बचाये  भी  रखा था 
दुख  सुख के अनुपातिक सौंदर्य. को  समझने  की 
उन्हें  सोच भी  दी थी 
इसीलिए  आज वे  आत्मनिर्भर हैँ 
स्वछंद  हैँ  पर  एक  नियंत्रित  शालीन  शैली 
से   अनुबंधित   भी  हैँ l परम्पराओ के  बीज
कई वर्ष  पहले  जो  बीज  परम्पराओ के 
हमने बोये   थे 
आज  वो   विकसित  हो कर  फल फूल  रहे हैँ 
क्योंकि  हमने  सही  समय पर  दिया   था  
उन्हें  खाद  पानी  का  पाथेय  और 
मौसम  के  हर  ज़ुल्म से उन्हें  बचाये  भी  रखा था 
दुख  सुख के अनुपातिक सौंदर्य. को  समझने  की 
उन्हें  सोच भी  दी थी 
इसीलिए  आज वे  आत्मनिर्भर हैँ 
स्वछंद  हैँ  पर  एक  नियंत्रित  शालीन  शैली 
से   अनुबंधित   भी  हैँ l परम्पराओ के  बीज