जिंदगी तू ही बता, कैसा रहा तेरा सफर, मंजिलों की तलाश में, कितना था दर्द का असर. दर्द में तू भी यहां, बहुत सहम जाती पिया, दर्द जताने वाले आंसू, सूक गए होते अगर. जख्म कितने मिलेंगे, किसी यहां हे कुछ पता, हमसफर के साथ थोड़े आसान हो जाते मगर. जुस्तजू उनमें डूबने की, दफन हो गई थी तब, जब से झुक गई हे वो हया भरी तेरी नजर. ©Vijay Gohel Saahil #veins