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पल्लव की डायरी फिक्र में धन की हस्ती अपनी बनाने

पल्लव की डायरी

फिक्र में धन की   हस्ती अपनी बनाने में
सोचे हमारी अपनो तक सीमित कर ली
चाहे चाहत में खुशी दूसरे की छीन ली
अंतिम पायदान पर खड़े भूखों से नजर मोड़ ली
अंधाधुन विकाश में आहुति प्रकृति की ली
भगवान को भेटे कीमती अदा कर
बड़ा बनने का नाटक ही किया
भले संवेदना खोकर गरीबो का शोषण किया
दो चार सौ कमाने वाले को चोर बताकर
रुतवा अपना कायम किया
आज अपनी औकात ब्या कर रही
दाँव पर लगी जिंदगी
अपनी सांसे नही बचा पा रहा हूं
पेसो का गट्ठर बेजान खड़ा है
जिसके लिये हर दम में दाँव पर लगा रहा हूं
                                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" सांसे नही बचा पा रहा हूं जिसके लिये खुद दाँव पर लगा रहा हूं

#covidindia
पल्लव की डायरी

फिक्र में धन की   हस्ती अपनी बनाने में
सोचे हमारी अपनो तक सीमित कर ली
चाहे चाहत में खुशी दूसरे की छीन ली
अंतिम पायदान पर खड़े भूखों से नजर मोड़ ली
अंधाधुन विकाश में आहुति प्रकृति की ली
भगवान को भेटे कीमती अदा कर
बड़ा बनने का नाटक ही किया
भले संवेदना खोकर गरीबो का शोषण किया
दो चार सौ कमाने वाले को चोर बताकर
रुतवा अपना कायम किया
आज अपनी औकात ब्या कर रही
दाँव पर लगी जिंदगी
अपनी सांसे नही बचा पा रहा हूं
पेसो का गट्ठर बेजान खड़ा है
जिसके लिये हर दम में दाँव पर लगा रहा हूं
                                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" सांसे नही बचा पा रहा हूं जिसके लिये खुद दाँव पर लगा रहा हूं

#covidindia