विषाक्त विचारों को हम वहन नहीं करते मरूस्थल में खिले पुष्पों का दहन नहीं करते मनभेद प्रबल हो जाए जिससे उसे मित्र नहीं कहते एक समान खींची गई लकीरों को चित्र नहीं कहते अधूरी जानकारी के सहारे चरित्र चित्रण नहीं करते परिस्थितियां समझे बिना आंकलन नहीं करते बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla RAVINANDAN Tiwari KK क्षत्राणी