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खामोशियों का दौर चल पड़ा है, हँसते चेहरों के पीछे ग

खामोशियों का दौर चल पड़ा है,
हँसते चेहरों के पीछे गमों का मेला है।
दूर से सब अपने ही दिखाई देते है,
इस भीड़ में हर आदमी अकेला है।
तुम सुन सको तो खामोशी बोलती बहुत है,
हँसते चेहरों ने कहाँ कुछ बोला है।

©Varsha Sharma
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