खुशियों से भरा मन अचानक, देख ले ना कोई अगर उजाले में कहीं रोयेगा वो लड़का है आज फिर गिले तकिये पे सोयेगा अचानक खुशियों से भरा मन याद आया है आज फिर उसे वो बचपन याद आया था दोस्तों ने उसे भी तो गाँव बुलाया था बड़ा बेटा है जिम्मेदारी लेनी ही थी पापा के बाद ये बारी लेनी ही थी एक बार आयी जिम्मेदारी अब ताउम्र ढोयेगा वो लड़का है आज फिर गिले तकिये पे सोयेगा (पूरी रचना कैप्शन में पढ़ें) देख ले ना कोई अगर उजाले में कहीं रोयेगा वो लड़का है आज फिर गिले तकिये पे सोयेगा आज गाँव से उसके संदेसा आया था इस बार दिवाली में क्यों नहीं आया था माँ ने उसे ये उलाहना सुनाया था क्या वो नहीं चाहता था दिवाली में जाना भाई बहनों संग छत पर दीप जलाना