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बारिस की बूंदों जैसी, मस्ती की हल्की-फ़ुल्की फ़ुहार

बारिस की बूंदों जैसी,
मस्ती की हल्की-फ़ुल्की फ़ुहार हो तुम।
इस काली घटा और
मौसम की शीतलता संग,
चाय की चुस्की या फ़िर ख़ुमार हो तुम।
मुशालाधर बारिस में फंसे
किसी के दरवाज़े पर हम, और
अंदर से बुलाने वालों की पुकार हो तुम।
जब ऐसे मौसम में भी साथ नहीं,
बस यादें ही हैं पास मेरे,
फ़िर तो बेकार हो तुम। #ख़यालात_ए_बारिश
बारिस की बूंदों जैसी,
मस्ती की हल्की-फ़ुल्की फ़ुहार हो तुम।
इस काली घटा और
मौसम की शीतलता संग,
चाय की चुस्की या फ़िर ख़ुमार हो तुम।
मुशालाधर बारिस में फंसे
किसी के दरवाज़े पर हम, और
अंदर से बुलाने वालों की पुकार हो तुम।
जब ऐसे मौसम में भी साथ नहीं,
बस यादें ही हैं पास मेरे,
फ़िर तो बेकार हो तुम। #ख़यालात_ए_बारिश
adityakarn4884

Aditya Karn

New Creator