White आदतें मुझमें भी बुरी हैं, मगर, दिल में नफरत के शोले जलाता नहीं हूं। जो भी मिला, भगवान का करम है, दूसरों का देख कर ललचाता नहीं हूं। मंज़िलें दूर सही, हौसले मेरे बुलंद हैं, गिरता हूं, मगर उठकर संभल जाता हूं। चमकती दुनिया पर नज़र डाल लेता हूं, पर खुद को बेवजह बदलता नहीं हूं। जिंदगी के सफर में सबक सीखे हैं, अपने हिस्से की खुशी चुराता नहीं हूं। दूसरों की राहें, उनकी मेहनत है, किसी की तकदीर से जलता नहीं हूं। जो मिला उसे शुक्रिया अदा करता हूं, शिकायतों के पुलिंदा संभालता नहीं हूं। सच की राह पर चलने की आदत है, जूठे लिबास में कभी ढलता नहीं हूं। ©Ashok Verma "Hamdard" जलता नहीं हूं