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छाता लिये खड़ा हूँ छाता की तरह हुँ बरस

   छाता लिये खड़ा हूँ
   छाता की  तरह हुँ
     बरसात में दिख जाता
    हर एक जगह हूँ
        सड़ती हुई हर चीज
         आहार है मेरा
         करता न कोई फिर भी
         तिरस्कार है मेरा
    बनता नहीं किसी भी 
     बीमारी की वजह हूँ
           दुनिया के सभी सब्जियों में
            नाम है मेरा
             मिलता किसी से कम नहीं
             दाम है मेरा
     सबकी पसंद मैं भी
      हर शाम सुबह हूँ
           मुझको कोई भी खाद दे
           ख्वाहिस नही मेरी
           होती कभीकिसी से 
          गुजारिश नहीं मेरी
    लड़ता न मुश्किलों से
     कर लेता सुलह हूँ

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
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