नींदों का बोझ पलकों में उठाया नहीं जाता और वो दिल को लगा रहे है गम उठाने के खातिर बागबा निगेहबान है सारे गुलिस्तां का और वो फुल को तकते है जुड़े में लगाने खातिर ©KaviRaj bhatapara #roseday