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"जरुरी तो नहीं" मैं जानता हूँ तुमसे, खूबसूरत कोई

"जरुरी तो नहीं"

मैं जानता हूँ तुमसे, खूबसूरत कोई नहीं
कोई सहमत होगा, ये भी तो जरुरी नहीं

पलक बंद करता हूँ, तुम्हें सामने पाता हूँ
कभी कभी रातभर, सो भी नहीं पाता हूँ

बेशक़ तुम दूर हो, नजदीक तुम्हें पाता हूँ
बेचैन राहो में, मंज़िल तक बढ़ पाता हूँ

तुमसेही जग सुंदर, खुदको कहे पाता हूँ
चमकते लाखो जुगनू, दिनमे देख पाता हूँ

सपने हैँ बहुत, अधूरे तुमबिन मैं पाता हूँ
रोज नया एक गीत, अधरोंपे मैं पाता हूँ

समंदर की गहराई, तेरी बात में पाता हूँ
आसमा से विशाल मन, तेरी सोच में पाता हूँ

मैं जानता हूँ तुमसे, खूबसूरत कोई नहीं
कोई सहमत होगा, ये भी तो जरुरी नहीं
कोई सहमत होगा, ये भी तो जरुरी नहीं

©Santosh Jangam
  #Way2Life