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राष्ट्रवाद की धारणा बहुत पुरानी पड चुकी अब तो आगे

राष्ट्रवाद की धारणा बहुत पुरानी पड चुकी
अब तो आगे बढ़ना है
भारत अकेला ऐसा देश है  जो सबसे पहले यह कदम
उठा सकता है  क्योंकि इसकी परम्परा
"वासुदेव कुटुंमबकम " वाली रही है
सदियों से हमने  इस मन्त्र क़ो दोहराया है  कि  सारी वसुधा
एक कुटुंब है...... ल्र्किन तब वैज्ञानिक आधार न थे
इसलिए ये बात  केवल ऋषि  वाणी बन कर रह गई
लेकिन अब समय और परिस्तिथि बदल चुकी और अब
उस मन्त्र क़ो पूरे जगत के लिए यथार्थ बनाया जा सकता है
और जिन महान आत्माओं ने इस विशुद्ध  मन्त्र की
रचना की.थी उनका  स्मरण करते हुए अर्घ्य दिया जा सकता है
 भारत इस ग्रह पऱ पहला राष्ट्  हो सकता है जो इस सम्मासन के लिए स्वयं क़ो अधिकारी बना सकता है l अब तो भारत क़ो
घोषणा  कर देनी चाहिए  कि "हम अंतराष्ट्रीय है.... हम छोड़ते है क्षुद्र सिमाओं क़ो.... हम छोड़ते है वो क्षुद्र  राष्ट्रवाद का आग्रह.
हम इस देश क़ो अंतराष्ट्रीय  घोषित करते है...".... osho

©Parasram Arora वसुंदरव कुटुंबकम
राष्ट्रवाद की धारणा बहुत पुरानी पड चुकी
अब तो आगे बढ़ना है
भारत अकेला ऐसा देश है  जो सबसे पहले यह कदम
उठा सकता है  क्योंकि इसकी परम्परा
"वासुदेव कुटुंमबकम " वाली रही है
सदियों से हमने  इस मन्त्र क़ो दोहराया है  कि  सारी वसुधा
एक कुटुंब है...... ल्र्किन तब वैज्ञानिक आधार न थे
इसलिए ये बात  केवल ऋषि  वाणी बन कर रह गई
लेकिन अब समय और परिस्तिथि बदल चुकी और अब
उस मन्त्र क़ो पूरे जगत के लिए यथार्थ बनाया जा सकता है
और जिन महान आत्माओं ने इस विशुद्ध  मन्त्र की
रचना की.थी उनका  स्मरण करते हुए अर्घ्य दिया जा सकता है
 भारत इस ग्रह पऱ पहला राष्ट्  हो सकता है जो इस सम्मासन के लिए स्वयं क़ो अधिकारी बना सकता है l अब तो भारत क़ो
घोषणा  कर देनी चाहिए  कि "हम अंतराष्ट्रीय है.... हम छोड़ते है क्षुद्र सिमाओं क़ो.... हम छोड़ते है वो क्षुद्र  राष्ट्रवाद का आग्रह.
हम इस देश क़ो अंतराष्ट्रीय  घोषित करते है...".... osho

©Parasram Arora वसुंदरव कुटुंबकम